किस सोच में पड़ रहे है हम सब,
एक ही तो है ईश्वर अल्लाह रब,
भीगी पलके और मुस्कराते चेहरे,
दोनों सच्चे कह दो धरम या मजहब,
बरसों से लड़े जा रहे लोग यहां,
गहरी गलत नींद से जागेंगे हम कब,
खुदा होगा निराश भगवान परेशान,
एकदूसरे का खून बहाते है हम जब,
मंदिर में बजे अजान मस्जिद में घंटिया,
रख देते है गीता कुरान साथ मे अब,
किस सोच में पड़ रहे है हम सब,
एक ही तो है ईश्वर अल्लाह रब।
- निशांक मोदी
No comments:
Post a Comment