#कविता
आ अब तुज से में बात करू,
तुज से ही तेरी फरियाद करू,
अब तू ही रास्ता बता मुजे,
कैसे में खुद को बर्बाद करू,
इश्क मेरी आदत न थी,
वादे मेरी फितरत न थी,
मिले तुम तो सीखी हमने,
जिंदगी में वरना मोहब्बत न थी,
कोई चीज हो दिमाग में तो बता दे,
कैसे भूलकर तुज को ही फिर याद करू,
नींद नही आती सपना भी नही आता,
ग़ैर कहा से आये कोई अपना भी नही आता,
हो प्यार का कोई मंत्र तो फूंक दे मुझ पे,
मुजे इश्क का कोई जाप जपना भी नही आता,
पूरी रात सोचु के कब सुबह हो जाये,
सुबह होते ही ख्याल आये कब में फिर रात करू,
तुजे मिलकर सारा शहर अच्छा लगा था मुजे,
झूठ बोलनेवाला हर बंदा सच्चा लगा था मुजे,
तू साथ मे थी तब ये जमाना पैरो में था मेरे,
इबादत करते वक़्त ईश्वर भी बच्चा लगा था मुजे,
तू नही तो अब इश्क की बाते नही करता में,
खुद को तबाह करके यहां रोज वारदात करू,
आ अब तुज से में बात करू,
तुज से ही तेरी फरियाद करू,
अब तू ही रास्ता बता मुजे,
कैसे में खुद को बर्बाद करू।
- निशांक मोदी