Thursday, May 31, 2018

अजीब सा माहौल

अजीब सा माहौल हो गया मेरे आसपास,
सुनमुन से रहने लगे दोस्त जो थे खास,

दिल पर बोज़ लेकर घूम रहे है लोग,
नजाने किसकी गलती किसका दोष,
गहरी दोस्ती बदल जाती दुश्मनी में,
खेल करे वक़्त यहाँ बदल जाते संजोग,

मन बेचेन फिकर कर रहा यहां दिमाग,
मस्तीभरी जिंदगी की जैसे चुरा ली सांस्,

अपना हर कोई पराया लगने लगा,
दे रहे उनको या दे रहे खुद को सजा,
छोटी सी चिनगारी बन गई आग यहां,
ना तुम ना हम देख ना ले रहा कोई मज़ा

डर-शर्म-ख़ौफ़ सब कुछ साथ है हमारे,
मन मे कहते यार, दोस्ती नही आई रास....

अजीब सा माहौल हो गया मेरे आसपास,
सुनमुन से रहने लगे दोस्त जो थे खास।

- निशांक मोदी