तू ही...
तू ही हँसाता है, तू ही रुलाता है,
तू ही गिराता है, तू ही उठाता है,
तू ही भरता है फूलों में खुशबू,
तू ही गोलियां, तू ही तलवार बनाता है,
मिट्टी के ढ़ेर को बनाकर शरीर,
तू ही दफ़नाता है, तू ही जलाता है,
इश्क़ कहुँ, ईश्वर कहुँ या कहुँ खुदा तुजे,
तू ही देता जखम तू ही सुल्जाता है,
धूल भी तेरी यहाँ फूल भी तेरा,
कभी तू बस्ती कभी तू अर्थी सजाता है,
तू ही हँसाता है, तू ही रुलाता है,
तू ही गिराता है, तू ही उठाता है,
- निशांक मोदी