Sunday, February 25, 2018

सुनकर वो बेवफाई

सुनकर वो बेवफाई की गुज़ारिश ले गया,
फँस जाते लोग यहाँ, वो साजिश ले गया,

चला में दूर बादलो की तरह आसमां में,
आंखों की सारी नमी, वो बारिश ले गया,

बातें कर रही थी फूलो की पत्तियां आज,
एक भंवरा उनका कोई वो वारिस ले गया,

मदहोश थे वो ख्वाबों में बंध आँखों मे,
चुरा कर कोई यहाँ अधूरी ख्वाहिश ले गया,

सुनकर वो बेवफाई की गुज़ारिश ले गया,
फँस जाते लोग यहाँ, वो साजिश ले गया।
- निशांक मोदी

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