चहेरे की मुस्कान ये कुछ बयाँ कर रही है,
मन मे तेरे अभी भी शैतानियां चल रही है,
सवाल पूछने का हक तुजे है जिंदगी,
चल तू मेरे साथ या में करू तेरी बंदगी,
खोल के रख दे पन्ने सारे किताब के,
तू जीने की आश तू ही लाए शर्मिंदगी,
अंत भला होता है ये कहानिया कह रही है,
चहेरे की मुस्कान...
उलझ क्यों जाते है हम हर मोड़ पर,
वादे निभा जाते है हम कस्मे तोड़ कर,
अहम इतना भी नही की मिल न पाये,
गले लगा अब छोटी सी जिद छोड़ कर,
आजकल अनसुलझी पहेलिया सुलझ रही है,
चहेरे की मुस्कान ये कुछ बयाँ कर रही है,
मन मे तेरे अभी भी शैतानियां चल रही है।
- निशांक मोदी
No comments:
Post a Comment