आमने सामने हुई थी जो बात छोटी थी,
पल में गुजर गई वो एक रात छोटी थी,
यूह तो शरीक हुए थे मेरे जनाजे में वो,
कमबख्त जो लाये वो सौगात छोटी थी,
सलाम वालेकुम, खुदा हाफ़िज़ दो लब्ज़
थे मेरे इश्क के गवाह, मुलाकात छोटी थी,
समय मिले तो धार करवाना नजरों को,
इस बार मिली थी जो वो घात छोटी थी,
जीत जाऊ जो तुमसे, स्वीकार कर लेना,
पीछे से लोग को मत कहना जात छोटी थी,
आमने सामने हुई थी जो बात छोटी थी,
पल में गुजर गई वो एक रात छोटी थी।
- निशांक मोदी
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