ये बात जानकर पूरा महोल्ला दंग था,
घर की छत टूटी पर हौसला बुलंद था,
मान लिया कि बंदा थोड़ा अकड़ू है,
ना सोचा कि ये कुर्ता थोड़ा सा तंग था,
मेघधनुष देख चौंक गए लोग यहाँ,
मानते रहे ये आसमाँ कमबख्त बेरंग था,
लूटी जागीर,जमीन,शोहरत,महोब्बत,
साँसों ने नही दिया धोका यही उमंग था,
हर बात पे करते रहे लोग विरोध यहा,
हम मानते रहे के जमाना हमारे संग था,
ये बात जानकर पूरा महोल्ला दंग था,
घर की छत टूटी पर हौसला बुलंद था।
- निशांक मोदी
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