Thursday, May 21, 2020

I miss टपरी

I miss टपरी☕

वो फिजूल की बातें, वो मुफ्त की राय,
टपरी तू रहने दे, कुछ याद ना दिलाय,

अभी वो जगह शायद गुमशुम होगी,
जो सुनती थी हररोज हाय और बाय,

दोस्त को पागल कहना, गाली देना,
याद आ रहे वो लम्हे जो संग साथ बिताय,

दो चार कमीने दोस्त ही तो कमाई हमारी,
जिंदगी का खर्चा था बस दस रुपये की चाय,

बीते पल फिर एक बार लौट के जो आ जाए,
ख़्वाहिश ऐसी कोई टपरी पे पूछे 'ठीक होना भाई',

सारी मुसीबतें हवा होगी फिर देख उबलती चाय,
अगर फिर एक बार वो पुराने दोस्त यार मिल जाय,

वो फिजूल की बातें, वो मुफ्त की राय,
टपरी तू रहने दे, कुछ याद ना दिलाय।
- निशांक मोदी

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