सारे ही गुलाब वो बाज़ार में छोड़ आया था,
मोहब्बत का दिन था वो जल्दी घर आया था,
मुमकिन कहा हर पल इश्क करे महबूबा से,
इश्कवाले भी देंगे हिसाब कितना कमाया था,
बदला लेनेवाले नही जानते, प्रेम का अहसास,
एक फिर भी हँसाता है जब दूसरे ने रुलाया था,
प्यार में जुनून जायज है, कभी सौदा नही होता,
बिन कुछ कहे दिए मोहब्बत का दिन मनाया था,
बड़े चर्चे सुने थे निकम्मा कर देता है इंसान को,
तो पूछो लोगो से क्यू इश्क को खुदा बताया था,
सारे ही गुलाब वो बाज़ार में छोड़ आया था,
मोहब्बत का दिन था वो जल्दी घर आया था,
- निशांक मोदी
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