Friday, June 25, 2021

आज भी मौजूद है

शहर में एक पुराना मकान आज भी मौजूद है,
धुंधली तस्वीरे, मीठी यादे आज भी मौजूद है,

एक महकता हुआ गुलाब रहता था आंगन में,
वहा कुछ भंवरे के बिखरे पर आज भी मौजूद है,

जंग लगी अलमारी ने संभालके रखे है पुराने कपड़े,
खेलते वक़्त तोड़ा था जो शीशा आज भी मौजूद है,

लगा था, कुछ अधूरा छोड़ के निकले थे हम वहाँ से,
आधी पढ़ी हुई किताब में रखा पंख आज भी मौजूद है,

मकड़ी के जालो में फ़स चुका है कोयला भरा बर्तन,
चलो जलाके देखते है चूले में आग आज भी मौजूद है,

सोचता रहा ये मन क्यू नही लगता है दूसरे जहाँ में,
जिस्म तो निकला रूह भरा दिल यहाँ आज भी मौजूद है,

शहर में एक पुराना मकान आज भी मौजूद है,
धुंधली तस्वीरे, मीठी यादे आज भी मौजूद है।
✍️निशांक मोदी

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