Wednesday, September 26, 2018

तेरे शहर की आग

तेरे शहर की आग जलाती है मुझे,
तेरे शहर की रात जगाती है मुझे,

नजाने क्या जितने चला हु यहाँ,
तेरे शहर की कायनात हराती है मुझे,

मशहूर होने को आया था में यहाँ,
तेरे शहर की औकात भुलाती है मुझे,

एक हँसी भरा चहेरा ढूंढ रहा था,
तेरे शहर की हर बात रुलाती है मुझे,

बिन पिये कर दिया माहौल नशीला,
तेरे शहर की वारदात झुलाती है मुझे,

जिंदगी है कोई शतरंज नही शह दी,
तेरे शहर की हर मात चलाती है मुझे,

तेरे शहर की आग जलाती है मुझे,
तेरे शहर की रात जगाती है मुझे।
- निशांक मोदी

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