वो एक सवेरा लेके आये थे,
वो एक उजाला लेके आये थे,
आगे बढ़ाया देश खुद के दम पर,
ना रुके ना थके चलते रहे सँभलकर,
मुश्किल है दिल जीतना विपक्ष का,
मुँहतोड़ दिया जवाब कारगिल में लड़कर,
वो एक चुनौती लेके आये थे,
वो एक बहती धारा लेके आये थे,
आसान नही इतना, भारत रत्न पाना,
मुसीबतो से भरे देश का फर्ज निभाना,
तकलीफ में हो जब खुद के पैर यहाँ,
मजबूत कर कंधे देश को ऊंचा उठाना,
वो एक ख्वाब लेके आये थे,
वो एक सुलगती ज्वाला लेके आये थे,
खो सी गई थी मेरे देश की पहचान,
संसद हमले में जो आ बनी थी जान,
हराया अमरीका को पोखरण में बम्ब से,
दिलाया याद, है एक देश 'हिंदुस्तान',
वो एक कविता लेके आये थे,
वो एक देश दुबारा लेके आये थे।
- निशांक मोदी
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